पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने शुक्रवार (03 अक्टूबर, 2025) को दावा किया कि कई देशों ने इस्लामाबाद के साथ रक्षा समझौता करने में रुचि दिखाई है और सुझाव दिया कि यदि अधिक देश सऊदी-पाकिस्तान परस्पर रक्षा समझौते में शामिल होते हैं तो यह नाटो जैसा गठबंधन बन जाएगा.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से हाल ही में घोषित गाजा शांति योजना के मुद्दे पर संसद को संबोधित करते हुए डार ने 18 सितंबर को सऊदी अरब के साथ आधिकारिक रूप से हस्ताक्षरित ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते’ के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि कई देशों, अरब और गैर-अरब इस्लामी राष्ट्रों ने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते में शामिल होने में रुचि दिखाई है.
‘पाकिस्तान करेगा इस्लामी दुनिया का नेतृत्व’
डार ने कहा, ‘कई अन्य देशों ने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता करने में रुचि दिखाई है और कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान से संपर्क किया है.’ उन्होंने सुझाव दिया कि यदि और अधिक देश इसमें शामिल हो जाएं तो यह नाटो जैसा गठबंधन बन जाएगा.
उप-प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते में अन्य देशों को भी शामिल किया जा सकता है, जिससे संभवतः यह ‘नया नाटो या पूर्वी नाटो’ में परिवर्तित हो जाएगा. उन्होंने विश्वास जताया कि पाकिस्तान एक दिन इस्लामी दुनिया का नेतृत्व करेगा. उन्होंने कहा, ‘ईश्वर की इच्छा से पाकिस्तान 57 इस्लामी देशों का नेतृत्व करेगा.’
‘पाकिस्तान करे आर्थिक शक्ति बनने का प्रयास’
डार ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान पहले से ही एक परमाणु और मिसाइल शक्ति है, लेकिन अब उसे एक आर्थिक शक्ति बनने का भी प्रयास करना चाहिए, जो कि सामूहिक प्रयास से ही प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण समझौता है, इसे बिना सोचे-समझे या जल्दबाजी में नहीं किया गया.’
समझौते के बारे में विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन हस्ताक्षर समारोह के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि किसी भी देश के विरुद्ध किसी भी आक्रमण को दोनों के विरुद्ध आक्रमण माना जाएगा.
भारत के साथ पाकिस्तानी संघर्ष को लेकर बोले इशाक डार
मई में भारत के साथ हुए चार दिवसीय संघर्ष को याद करते हुए डार ने कहा कि रक्षा समझौते के तहत पाकिस्तान पर इस तरह के हमले को सऊदी अरब पर हमला माना जाता. इस समझौते पर हस्ताक्षर इजराइल की ओर से कतर पर हमला करने के कुछ दिनों बाद किए गए थे. कतर पर हमले से अरब देशों में इसी तरह के हमले की आशंका पैदा हो गई थी.
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