लद्दाख प्रशासन ने सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि कुछ वर्गों की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया बयानों में जो बातें सामने आ रही हैं, वे पूरी तरह निराधार हैं. प्रशासन ने साफ किया कि पर्यावरणविद सोनम वांगचुक सहित किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई ‘विच हंटिंग’ नहीं हो रही है, बल्कि सभी कार्रवाई विश्वसनीय सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर हो रही हैं.
प्रशासन ने आधिकारिक बयान में कहा कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं और विदेशी मुद्रा उल्लंघनों की जांच चल रही है. प्रारंभिक जांच में गंभीर गड़बड़ियों के सबूत मिले हैं.
बिना मान्यता के HIAL कर रहा डिग्रियां जारी
HIAL को विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता नहीं होने के बावजूद वह युवाओं को डिग्रियां जारी कर रहा है, जिससे उनके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. इसके अलावा, वित्तीय वर्षों में विदेशी चंदे की पूरी जानकारी बैलेंस शीट में दर्ज नहीं की गई.
लद्दाख प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का FCRA लाइसेंस कई उल्लंघनों के कारण रद्द किया गया है. प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में अपील की स्थापित प्रक्रिया मौजूद है, जिसका उपयोग संबंधित संगठन कर सकते हैं.
सोनम वांगचुक पर भड़काऊ भाषण का आरोप
प्रशासन ने सोनम वांगचुक पर आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार भड़काऊ बयान दिए. भूख हड़ताल (अनशन) के दौरान उन्होंने नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश का उदाहरण देकर युवाओं को उकसाने की कोशिश की. यहां तक कि उन्होंने ‘अरब स्प्रिंग’ जैसे आंदोलन की बात करते हुए भारत सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया और आत्मदाह जैसे कदमों का भी जिक्र किया.
प्रशासन ने कहा कि जब हालात बिगड़े तो वांगचुक का चुपचाप अनशन स्थल से पीछे के रास्ते से निकल जाना उनकी गैर-जिम्मेदारी को दिखाता है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि 20 सितंबर, 2025 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक की तारीख पहले ही घोषित की जा चुकी थी और लद्दाखी नेताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लचीलापन भी दिखाया गया. इसके बावजूद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन जारी रखा, जिसे प्रशासन ने ‘व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया गैर-जिम्मेदाराना कदम’ बताया.
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