Mahua Moitra Lok Sabha Membership: पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले लोकसभा की सदस्यता से शुक्रवार को निष्कासित हुईं टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने आगे चुनाव लड़ने के बारे में बताया है. मोइत्रा से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या वह चुनाव लड़ेंगी तो उन्होंने जवाब दिया, ”जाहिर तौर पर मैं चुनाव लड़ूंगी.”
#WATCH | Mahua Moitra leaves from Parliament after her expulsion as TMC MP pic.twitter.com/MY8tZLsRTm
— ANI (@ANI) December 8, 2023
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी कहा है कि महुआ इस लड़ाई में जीतेंगी और हम उनके साथ हैं. उन्होंने कहा, ”जनता बीजेपी को करारा जवाब देगी और महुआ को जिताएगी.” बता दें कि महुआ मोइत्रा की सदस्यता ऐसे समय गई है जब लोकसभा चुनाव 2024 करीब हैं. मोइत्रा अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार करती आई हैं.
महुआ मोइत्रा के निष्कासन पर क्या कहा ममता बनर्जी ने?
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें बीजेपी का रवैया देखकर दुख हो रहा है कि कैसे लोकतंत्र को धोखा दिया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि महुआ मोइत्रा को संसद में अपना रुख स्पष्ट करने की अनुमति नहीं दी गई, जो सरासर अन्याय हुआ है. उन्होंने कहा, ”हम महुआ के साथ हैं.” उन्होंने महुआ मोइत्रा के निष्कासन को गणतंत्र की हत्या करार दिया.
महुआ मोइत्रा का बैकग्राउंड
महुआ मोइत्रा का जन्म 12 अक्टूबर 1974 को असम के कछाड़ जिले में एक बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम द्विपेंद्र लाल मोइत्रा और माता का नाम मंजू मोइत्रा है. उनकी एक बहन है. महुआ तलाकशुदा हैं और उनके कोई बच्चे नहीं हैं.
मोइत्रा की शुरुआती शिक्षा कोलकाता के गोखले मेमोरियल गर्ल्स स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने 1998 में अमेरिका के मैसाचुसेट्स में माउंट होलोके कॉलेज साउथ हैडली से अर्थशास्त्र और गणित में ग्रेजुएशन की. उन्होंने वित्तीय मानक प्राधिकरण (यूके), वित्तीय उद्योग नियामक प्राधिकरण (यूएसए) में भी पढ़ाई की है. इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज के लिए एक निवेश बैंकर के रूप में काम किया.
महुआ मोइत्रा का राजनीतिक करियर
महुआ मोइत्रा 2009 में लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में उपाध्यक्ष का पद छोड़कर राजनीति में आ गईं. वह कांग्रेस की युवा शाखा भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हो गई थीं, जहां उन्होंने पार्टी के कार्यक्रम ‘आम आदमी का सिपाही’ के लिए काम किया. उस कार्यक्रम की शुरुआत तत्कालीन कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने की थी.
2010 में महुआ मोइत्रा टीएमसी में शामिल हो गईं और पार्टी में एक तेज तर्रार युवा नेता के रूप में उभरीं. उन्होंने टीएमसी महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में काम किया. 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नवंबर 2021 में मोइत्रा को टीएमसी की गोवा इकाई के राज्य प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया था.
एक बार विधायक और एक बार सांसद बनीं महुआ मोइत्रा
महुआ मोइत्रा 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में करीमपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरी थीं. तब उन्होंने 15,989 मतों के अंतर से सीपीएम उम्मीदवार को हरा दिया था. इसके बाद उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 63,218 मतों के अंतर से हराया था.
महुआ मोइत्रा के विवाद
महुआ मोइत्रा जून 2019 में संसद में अपने भाषण में फासीवाद का जिक्र करते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधकर सुर्खियों में आ गई थीं. जुलाई 2022 में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट में, देवी काली से संबंधित एक फिल्म के पोस्टर पर प्रतिक्रिया देते महुआ मोइत्रा ने आपत्तिजनक बयान दिया था, साथ ही तर्क दिया था कि आपको अपनी देवी की कल्पना करने की स्वतंत्रता है.
उनके विवादित बयान से टीएमसी ने खुद को अलग कर लिया था और टिप्पणी की निंदा की थी. पार्टी ने बयान महुआ का निजी मत करार दिया था. इसके बाद महुआ मोइत्रा के खिलाफ पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में पुलिस शिकायतें दर्ज की गई थीं.
फरवरी 2023 में महुआ मोइत्रा संसद के अंदर असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने को लेकर विवादों के केंद्र में थीं. 10 मार्च 2023 को उन्होंने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर फर्जी डिग्री का आरोप लगाया था.
पिछले अक्टूबर में महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा. सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के एक पत्र का हवाला देते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर यह आरोप लगाया था, जिसके चलते उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी है.
महुआ ने 8 फरवरी 2021 को अपने संसदीय भाषण में न्यायपालिका (और मुख्य न्यायाधीश) पर हमला किया था. दिसंबर 2020 में महुआ मोइत्रा ने कुछ बंगाली समाचार चैनलों का बायकॉट करते हुए उन्हें कथित तौर पर ‘दो कौड़ी’ का बताया था. टीएमसी ने उनके बयान से दूरी बना ली थी. जुलाई
जुलाई 2019 में जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से महुआ मोइत्रा के खिलाफ मानहानि का केस किया गया था. जनवरी 2017 में बाबुल सुप्रियो ने महुआ मोइत्रा (और अन्य) पर रोज वैली चिट फंड घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाने के लिए मानहानि का नोटिस भेजा था.
टीवी डिबेट विवाद
जनवरी 2017 में महुआ मोइत्रा ने एक टीवी डिबेट के दौरान कथित तौर पर ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी करने के लिए उस समय बीजेपी में रहे बाबुल सुप्रियो के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की थी. अक्टूबर 2020 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बाबुल सुप्रियो के खिलाफ पुलिस के आरोप पत्र को रद्द कर दिया था.






