China rare earth dominance: रेयर अर्थ मेटल के क्षेत्र में चीन को टक्कर देने और उसके प्रभाव को कम करने के लिए जी 7 देशों ने साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीते शुक्रवार को कनाडा के टोरंटो शहर में इन देशों के बीच एक दर्जन से अधिक निवेश और साझेदारी पर सहमति बनी है.
निवेश के तहत 4.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए जाएंगे. जिसका उद्देश्य रेयर अर्थ पर चीन की निर्भरता को कम करना है. इस बैठक में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका के ऊर्जा मंत्रियों ने हिस्सा लिया. अभी पूरी दुनिया का करीब 80 फीसदी रेयर अर्थ चीन के नियंत्रण में है.
रेयर अर्थ का बादशाह है चीन
आज पूरी दुनिया में जितना भी रेयर अर्थ मौजूद है, उसका लगभग 80 फीसदी हिस्सा चीन के नियंत्रण में हैं. अमेरिका समेत अन्य देश अपनी जरूरतों के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर है. 9 अक्टूबर को चीन की ओर से रेयर अर्थ निर्यात पर नई पाबंदियां लगाने की घोषणा की गई थी. जिसकी शुरुआत 1 नवंबर से होने वाली थी. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद इस फैसले को 1 साल के लिए टाल दिया गया था.
वहीं भारत की बात करें तो, चीन ने निर्यात पर पाबंदियां लगाई थी. हालांकि, पिछले दिनों चीन ने कुछ शर्तों के साथ भारती की तीन कंपनियों को रेयर अर्थ आयात करने की मंजूरी दी थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्टिनेंटल इंडिया, हिटाची और Jay Ushin कंपनी को यह मंजूरी मिली है. रेयर अर्थ पर चीन के इस रवैये से पूरी दुनिया चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है. इसके लिए नए विकल्पों की तलाश की जा रही है.
अभी नहीं रुकेगी टकराव
नानजिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर झू फेंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि, दोनों देशों के बीच भले ही अस्थायी समझौता हुआ हो, लेकिन उस पर अभी औपचारिक हस्ताक्षर होना बाकी हैं. उनका मानना है कि, अमेरिका आने वाले भविष्य में चीन पर अपनी निर्भरता से फ्री होना चाहता है. आने वाले समय में यह तनाव दोनों देशों की आर्थिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है.
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