अमेरिका ने करीब 30 साल बाद कहा है कि वह फिर से परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू कर सकता है, जिसके बाद से दुनिया में वैश्विक परमाणु संतुलन बिगड़ने का खतरा मंडराने लगा है. रूस और चीन जैसी अन्य देश भी अपने लगातार अपने परमाणु हथियार से जुड़े परीक्षण कर रहे हैं. यह कदम भारत को एक नई रणनीतिक दुविधा में भी डाल रहा है.
ट्रंप ने दिया परमाणु हथियारों के परीक्षण का आदेश
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “दूसरे देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वह हमारे परमाणु हथियारों का भी समान आधार पर परीक्षण शुरू करें. हमने कई साल पहले ही परीक्षण रोक दिया था, लेकिन जब दूसरे देश भी परीक्षण कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि ऐसा करना सही होगा.”
अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “रूस और चीन परमाणु टेस्टिंग कर रहे हैं, लेकिन वे इस बारे में बात नहीं करते हैं. नॉर्थ कोरिया और पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर रहा है.” इस दौरान उन्होंने एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में अपनी भूमिका की बात दोहराई.
‘काफी महंगा होगा परमाणु परीक्षण’
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के हंस क्रिस्टेंसन ने द टेलीग्राफ को बताया कि फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करना काफी महंगा होगा और इसमें काफी समय लगेगा. उन्होंने बताया कि एक नया परमाणु हथियार विकसित करने के लिए परीक्षण में करीब 5 साल लगेंगे. साल 1966 में आई न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (CTBT) के तहत सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी.
साल 2024 तक 187 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे और 178 देशों ने इसकी पुष्टि की थी. हालांकि यह संधि अभी तक प्रभावी नहीं हुई है क्योंकि अमेरिका, चीन, भारत और पाकिस्तान सहित आठ प्रमुख देशों ने दोनों चरणों को पूरा नहीं किया है. अमेरिका ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर तो किए, लेकिन उसका अनुमोदन नहीं किया इसलिए वह इसका पालन करने के लिए बाध्य नहीं है. रूस ने साल 2023 में इसकी स्वीकृति रद्द कर दी थी.
किस देश ने कब किया परमाणु परीक्षण?
चीन, फ्रांस और ब्रिटेन ने आखिरी बार साल 1996 में परमाणु परीक्षण किया था. सोवियत संघ ने आखिरी बार 1990 में परीक्षण किया था, जबकि अमेरिका ने 1992 में इसे बंद कर दिया था. CTBT पर हस्ताक्षर होने के बाद से, केवल 10 परमाणु परीक्षण किए गए हैं, जो सभी भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने किया.
उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 (दो बार) और 2017 में छह अंडरग्राउंड विस्फोट किए हैं, जबकि इजरायल परमाणु हथियार रखने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहा है. दक्षिण अफ्रीका एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपने हथियारों को विकसित किया और फिर स्वेच्छा से नष्ट कर दिया और फिर स्वेच्छा से नष्ट कर दिया.
आज कितने परमाणु हथियार मौजूद हैं?
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार साल 2025 तक नौ देशों के पास सामूहिक रूप से लगभग 12,241 परमाणु हथियार होंगे. इनमें से 9,614 संभावित उपयोग के लिए सैन्य भंडार में हैं, 3,912 ऑपरेशनल फोर्स के साथ तैनात हैं और लगभग 2,100 हाई अलर्ट पर हैं. रूस के पास कुल 5,459 (सैन्य भंडार में 4,309), अमेरिका 5,177 (सैन्य भंडार में 3,700), चीन-600, फ्रांस-290, ब्रिटेन-225, भारत-180, पाकिस्तान-170, इजरायल-90, उत्तर कोरिया-50 परमाणु हथियार हैं.
क्या भारत को भी करना चाहिए परमाणु परीक्षण?
भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण और 1998 में पोखरण-II का परीक्षण किया था. भारत की परमाणु सिद्धांत नीति विश्वसनीय न्यूनतम निवारण बनाए रखने के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें संयम और जिम्मेदारी पर जोर दिया गया है. 1988 के बाद से भारत ने कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है. ट्रंप के परीक्षण के आदेश और रूस-चीन की बढ़ती परमाणु गतिविधियों ने भारत में बहस छेड़ दी है कि क्या उसे अपने प्रतिबंध पर पुनर्विचार करना चाहिए?
भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “ट्रंप ने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की घोषणा की. पुतिन ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल, बुरेवेस्टेनिक और पानी के भीतर परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पोसाइडन का परीक्षण किया. क्या भारत के परमाणु रुख पर पुनर्विचार की आवश्यकता है?” सुरक्षा एवं विकास अनुसंधान केंद्र के संस्थापक हैप्पीमोन जैकब ने कहा, “अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करता है तो भारत को भी इस अवसर का लाभ उठाकर अपना थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण करना चाहिए.”





