मुगल इतिहास में औरंगजेब को अक्सर एक कठोर, धार्मिक और अनुशासित शासक के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उसके जीवन का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि वह ज्योतिष और जन्मपत्री पर गहरा विश्वास रखता था.

इतिहासकार जदुनाथ सरकार अपनी प्रसिद्ध पुस्तक The History of Aurangzeb में लिखते हैं कि सम्राट ने अपने राज्याभिषेक का दिन और समय भी दरबार के ज्योतिषियों की सलाह पर चुना था.

उन ज्योतिषियों ने सुझाव दिया था कि रविवार, 5 जून 1659 को सूर्योदय के तीन घंटे पंद्रह मिनट बाद का समय सम्राट बनने के लिए सबसे शुभ रहेगा.निर्धारित समय पर पर्दे के पीछे बैठे औरंगज़ेब को संकेत मिला और वह बाहर आकर दिल्ली के तख़्त पर विराजमान हुआ. यानि इतिहास के सबसे शक्तिशाली मुगल शासकों में से एक का शासन ठीक उसी घड़ी शुरू हुआ, जिसे ज्योतिषियों ने शुभ बताया था.

औरंगज़ेब के समय में भारत आने वाले प्रसिद्ध फ़्रेंच यात्री फ़्रांसुआ बर्नियर (François Bernier) ने भी उसकी इस आस्था की पुष्टि की है.अपनी यात्राओं के वर्णन में बर्नियर लिखते हैं कि औरंगज़ेब ने अपनी दक्षिण भारत की लंबी यात्रा भी ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर शुरू की थी.

प्रसिद्ध फ़्रेंच यात्री फ़्रांसुआ बर्नियर ने बताया ज्योतिषियों की सलाह पर औरंगजेब ने 6 दिसंबर 1664 को दोपहर तीन बजे दक्षिण के लिए प्रस्थान किया. उसका मानना था कि लंबी यात्रा के लिए यही समय सबसे शुभ है.

प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार एम.जे. अकबर ने अपनी रचनाओं में उल्लेख किया है कि औरंगजेब अपने निजी ज्योतिषी फज़ील अहमद की भविष्यवाणियों पर गहरी आस्था रखता था. कहा जाता है कि उसने अपने पुत्र से स्वयं कहा था — फज़ील अहमद ने मेरी जन्मपत्री बनाई थी और अब तक उसकी हर बात सच साबित हुई है. मेरी जन्मपत्री में यह भी लिखा है कि मेरी मृत्यु के बाद अराजकता फैलेगी.

औरंगजेब ने आगे कहा कि मेरे जाने के बाद हर तरफ़ फ़साद होगा. एक अज्ञानी और छोटे सोच वाला सम्राट शासन करेगा. मैं अपने पीछे एक सक्षम वज़ीर असद ख़ां छोड़ जाऊंगा, लेकिन मेरे चारों बेटे उसे काम नहीं करने देंगे.

इतिहास ने यह भविष्यवाणी काफी हद तक सही साबित की. 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य राजनीतिक अराजकता और पारिवारिक संघर्षों में उलझ गया.

17वीं सदी का भारत केवल राजनीति या युद्धों का युग नहीं था. यह खगोल, गणित और ज्योतिष में गहरी आस्था का दौर भी था. मुगल दरबारों में अक्सर ज्योतिषियों और खगोलविदों की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी. अकबर और जहांगीर जैसे शासक भी तारे-ग्रहों की चाल को शुभ-अशुभ मानते थे.

औरंगजेब धार्मिक रूप से कट्टर माना जाता था. उसका ज्योतिष में विश्वास यह दिखाता है कि विज्ञान, धर्म और परंपरा का मिश्रण उस दौर की शासन व्यवस्था में गहराई तक रचा-बसा था.

औरंगजेब की भविष्यवाणी अज मअस्त हमाह फ़साद-ए-बाक़ी (मेरे बाद हर तरफ़ अराजकता होगी) केवल एक कथन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक वास्तविकता साबित हुई. उसकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र बहादुर शाह प्रथम ने सिंहासन संभाला, लेकिन जल्द ही मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया. क्षेत्रीय शक्तियां मराठे, सिख, जाट और नवाब धीरे-धीरे स्वतंत्र होने लगीं.
Published at : 27 Oct 2025 09:42 AM (IST)






