नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने गुरुवार (02 अक्टूबर, 2025) को विजयादशमी के अवसर पर देश में स्थिरता और समृद्धि की कामना की. विजयादशमी बड़ा दशईं त्योहार का 10वां दिन है, जिसे हिमालयी राष्ट्र में उत्साह के साथ मनाया जाता है.
राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति पौडेल को विजयादशमी के अवसर पर दिन में 11:53 बजे शुभ मुहूर्त पर पुजारियों- अर्जुन अधिहारी और देवराज आर्यल ने टीका लगाया. हालांकि, देश में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर पौडेल और प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने भी इस वर्ष बड़ा दशईं त्योहार के अवसर पर नागरिकों को टीका नहीं लगाया.
राष्ट्रपति पौडेल का जनता को संदेश
राष्ट्रपति कार्यालय की सूचना अधिकारी अर्चना खड़का ने बताया कि देश की हालिया स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति की ओर से कोई टीका समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा. अतीत में, राष्ट्रपति पारंपरिक रूप से इस अवसर पर आम जनता को टीका लगाते थे.
पौडेल ने अपने संदेश में कहा, ‘सत्य, धर्म और न्याय की जीत के प्रतीक विजयादशमी के दिन, हम आदरणीय बुजुर्गों से आशीर्वाद, टीका और जमारा प्राप्त करते हैं. मैं देवी दुर्गा से पूरे देश में सद्भाव, सद्भावना और कल्याण की प्रार्थना करता हूं.’
क्यों लगवाया जाता है बड़ों से टीका?
नेपाल में बड़ों से सिंदूर का टीका लगवाना आशीर्वाद, समृद्धि और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. घटस्थापना के बाद नौ दिनों तक की जाने वाली पूजा में दिए गए प्रसाद से टीका तैयार किया जाता है. हाल में ‘जेन जेड’ के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद नेपाल में पहली बार कोई बड़ा त्योहार मनाया जा रहा है. प्रदर्शनों के कारण देश में सत्ता परिवर्तन हुआ था.
आठ सितंबर को पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. ‘Gen-Z’ के प्रदर्शन के कारण के पी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा था. ‘Gen-Z’ उस पीढ़ी को कहा जाता है, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई.
विरोध प्रदर्शनों के पीड़ितों के सम्मान में फैसला
हिंसा जारी रहने के कारण भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर ओली सरकार के खिलाफ दो दिवसीय प्रदर्शन के दौरान मरने वालों की कुल संख्या 75 तक पहुंच गई. कार्की ने 12 सितंबर को अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि कार्की ने घोषणा की है कि वह टीका और जमारा प्राप्त करने की पारंपरिक परंपरा में भाग नहीं लेंगी. बयान में कहा गया कि यह निर्णय हाल ही में हुए ‘Gen-Z’ विरोध प्रदर्शनों के पीड़ितों के सम्मान में लिया गया.
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