विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार (10 अक्तूबर 2025) को संयुक्त राष्ट्र के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है. विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के एक मौजूदा सदस्य ने एक आतंकवादी संगठन को संरक्षण दिया है. उन्होंने वैश्विक संस्थाओं में जवाबदेही और सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.
यूएन के कामकाज पर विदेश मंत्री ने उठाए सवाल
विदेश मंत्री ने वैश्विक रणनीति के नाम पर आतंकवाद के पीड़ितों और गुनाहगारों की तुलना करने वालों की भी आलोचना की. उन्होंने यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलने की प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए की, खासकर हाल में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यूएन में सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में होने वाली बहसें अब बहुत ज्यादा बंटी हुई हैं और उसका कामकाज साफ तौर पर रुका हुआ दिख रहा है.
जयशंकर ने पाकिस्तान को लिया आड़े हाथ
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सार्थक सुधार को उसकी अपनी प्रक्रिया के जरिये ही रोका जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र को बनाए रखना तथा इसके पुनर्निर्माण की मांग करना स्पष्ट रूप से विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती है. आतंकवाद के प्रति संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया से ज्यादा, कुछ उदाहरण संयुक्त राष्ट्र के सामने मौजूद चुनौतियों को दर्शाते हैं. जब सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य उसी संगठन का खुलेआम बचाव करता है जिसने पहलगाम जैसे बर्बर आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है तो इससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ता है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के पीड़ितों और अपराधियों को एक ही श्रेणी में रखना दुनिया को और अधिक निंदनीय बना देता है. जब खुद को आतंकवादी कहने वालों को प्रतिबंधों से बचाया जाता है तो इसमें शामिल लोगों की ईमानदारी पर सवाल उठता है.’’ पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है. जुलाई में वह इस शीर्ष वैश्विक संस्था का अध्यक्ष था. परिषद में 15 सदस्य हैं, जिनमें पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूसी संघ, ब्रिटेन और अमेरिका हैं.
टीआरएफ ने पहलगाम आतंकी हमले की ली थी जिम्मेदारी
संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से दस अस्थायी सदस्य राष्ट्रों को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी-बारी से एक महीने के लिए की जाती है. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी समूह से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी. जुलाई में यूएनएससी की रिपोर्ट में पहलगाम हमले में टीआरएफ की भूमिका का उल्लेख किया गया था.
अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ का उल्लेख हटाने का प्रयास किया था. एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ज्वलंत मुद्दों का समाधान करने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना केवल दिखावटी बात हो गई है तो विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति की स्थिति और भी गंभीर है.’’
‘संकट के समय यूएन का समर्थन करना चाहिए’
उन्होंने कहा, ‘‘सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) एजेंडा 2030 की धीमी गति ग्लोबल साउथ के संकट को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है. इसके अलावा भी कई अन्य पैमाने हैं, चाहे वह व्यापार उपाय हों, आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता हो या राजनीतिक वर्चस्व हो. फिर भी ऐसी उल्लेखनीय वर्षगांठ पर हम उम्मीद नहीं छोड़ सकते.”
उन्होंने कहा, “चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत बनी रहनी चाहिए. चाहे इसमें कितनी भी खामियां क्यों न हों, संकट के इस समय में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया जाना चाहिए.’’ एसडीजी सभी के लिए बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य प्राप्त करने के लिए निर्धारित लक्ष्यों का एक समूह है.”
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