New Cybersecurity Rules: भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड के मामलों पर रोक लगाने के लिए Department of Telecommunications (DoT) ने नए Cybersecurity नियम लागू कर दिए हैं. ये नियम न केवल प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों जैसे Airtel, Jio, BSNL और Vi (Vodafone Idea) पर लागू होंगे, बल्कि अब इससे जुड़े वित्तीय और बीमा क्षेत्र पर भी असर दिखेगा. हालांकि, कुछ टेक विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि गैर-टेलीकॉम कंपनियों को DoT के दायरे में लाना यूज़र प्राइवेसी के लिए चुनौती बन सकता है.
DoT का नया कदम
Economic Times Telecom की रिपोर्ट के अनुसार, DoT अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इन नए नियमों का मकसद टेलीकॉम ऑपरेटरों को बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ एकीकृत करना है.
DoT ने यह भी कहा कि उसका नियामक अधिकार केवल लाइसेंस प्राप्त टेलीकॉम ऑपरेटर्स तक सीमित है और यह नए नियम गैर-लाइसेंस प्राप्त कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए नहीं हैं.
क्या है Mobile Number Validation Platform (MNV)?
इन नए नियमों का सबसे अहम हिस्सा है Mobile Number Validation (MNV) प्लेटफॉर्म जिसे DoT जल्द लॉन्च करने की तैयारी में है. इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य है यह जांचना कि किसी मोबाइल नंबर का स्वामित्व वास्तव में उसी व्यक्ति के पास है या नहीं जिसका नाम KYC (Know Your Customer) रिकॉर्ड में दर्ज है.
बैंक, फिनटेक कंपनियां और बीमा संस्थान इस प्लेटफॉर्म के जरिए नए खाते खोलते समय ग्राहकों के मोबाइल नंबर को वेरिफाई कर सकेंगे. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी बैंक खाते या बीमा पॉलिसी से जुड़ा मोबाइल नंबर सही व्यक्ति का ही है और इसी से फर्जीवाड़े और साइबर ठगी को रोका जा सकेगा.
कैसे करेगा यह प्लेटफॉर्म साइबर ठगी पर रोक?
अब तक भारत में कोई ऐसा कानूनी सिस्टम मौजूद नहीं था जो बैंकों या संस्थानों को यह जांचने की सुविधा दे कि मोबाइल नंबर वास्तव में अकाउंट होल्डर का है या नहीं. DoT का यह नया MNV प्लेटफॉर्म इसी कमी को पूरा करेगा.
इसके तहत बैंक और अन्य संस्थान सीधे टेलीकॉम कंपनियों से मोबाइल नंबर की वैधता की पुष्टि कर सकेंगे. इससे धोखाधड़ी वाले ट्रांजेक्शन, फर्जी सिम कार्ड और फेक अकाउंट खोलने जैसी घटनाओं में बड़ी कमी आने की उम्मीद है.
किन कंपनियों पर लागू नहीं होंगे ये नियम?
DoT ने स्पष्ट किया है कि ये नियम ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी या अन्य ऑनलाइन बिजनेस प्लेटफॉर्म्स पर लागू नहीं होंगे. इनका दायरा केवल उन संस्थानों तक रहेगा जो सीधे टेलीकॉम नेटवर्क और वित्तीय सेवाओं से जुड़े हैं.
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