सिर मुर्गे का, कमर शेर की और पूंछ सांप का…श्रीविष्णु का नवगुंजर अवतार, जो 9 जीवों से मिलकर बन

सिर मुर्गे का, कमर शेर की और पूंछ सांप का…श्रीविष्णु का नवगुंजर अवतार, जो 9 जीवों से मिलकर बन


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Navgunjar: भगवान विष्णु के दशावतार और 24 अवतारों में एक अवतार ऐसा भी है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है. इस अवतार का नाम नवगुंजर अवतार है. विष्णु के नवगुंजर अवतार का जिक्र किसी भी धार्मिक ग्रंथ या पुराणों में देखने को नहीं मिलता है. 

विष्णु के इस विचित्र अवतार का जिक्र उड़ीसा की लोक कथाओं में ही देखने को मिलता है. कुछ मान्यताओं में नवगुंजर को श्रीकृष्ण का भी अवतार माना जाता है. आइए जानते हैं इस अवतार से जुड़ी रोचक कहानी.

किस धार्मिक ग्रंथ में नवगुंजर का जिक्र

श्रीहरि के नवगुंजर अवतार का वर्णन सिर्फ उड़ीसा की महाभारत में ही देखने को मिलता है, जिसकी रचना 15वीं शताब्दी में जन्में उड़ीसा के आदि कवि कहे जाने वाले श्री सरला दास द्वारा की गई थी. इन्होंने महाभारत के अलावा उड़िया बिलंका रामायण की भी रचना की है. 

इन्होंने जो महाभारत लिखी है, उसकी मूल अवधारणा महर्षि व्यास के महाभारत से ही ली है, लेकिन अपने द्वारा लिखे गए महाभारत में उन्होंने कुछ ऐसी बातों को भी जोड़ा है, जिसका वर्णन मूल महाभारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है. और नवगुंजर अवतार उन्हीं में से एक है. 

नवगुंजर नौ जीवों से मिलकर बना जानवर

श्री सरला दास द्वारा लिखित महाभारत के मुताबिक, जब अर्जुन निर्वासन के दौरान मणिभद्र की पहड़ियों में तपस्या कर रहे थे, तब अर्जुन ने इस अद्भुत जीव नवगुंजर के दर्शन किए थे. इस विचित्र जीव का शरीर 9 जानवरों से मिलकर बना था और आकर में काफी बड़ा था.

जब अर्जुन की नजर इस विचित्र जीव नवगुंजर पर पड़ी तो उन्होंने डर के कारण हाथों में गांडीव धारण कर लिया. अर्जुन नवगुंजर पर हमला करने वाले ही थे कि उनकी नजर उस जीव के हाथों में कमल के फूल पर चली गई.

अर्जुन ये देख कर समझ गए कि ये जीव अवश्य श्री हरि का अवतार है. सच्चाई से अवगत होते ही श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि, विश्वरूप की ही भांति नवगुंजर भी उनका रूप है. 

नवगुंजर किन नौ जीवों से मिलकर बना है?

  • सर मुर्गे का
  • गर्दन मोर का
  • कूबड़ बेल का
  • कमर शेर की
  • पिछला बायां पैर बाघ का
  • पिछला दायां पैर घोड़े का
  • अगला बायां पैर हाथी का
  • अगला दायां पैर इंसान का
  • पूंछ सांप की

अपने इस अवतार के जरिए श्रीकृष्ण अर्जुन को बताना चाहते थे कि, इतनी विविधताओं के बावजूद एक मनुष्य की रचना की जा सकती है. नवगुंजर को नौ अलग अलग दिशाओं से देखने पर यह इंसानों को अलग अलग दिखाई देता था, किंतु असल में वो प्राणी एक ही था.

इसका मतलब यह है कि, किसी इंसान को देखने का नजरिया अलग अलग हो सकता है, लेकिन वास्तव में वो मनुष्य वही होता है, जो वो है. अर्थात् सत्य एक ही होता है, जिसे ज्ञानी मनुष्य अलग अलग नामों से पुकारता है. 

अद्वैत साहित्य में नवगुजंर का जिक्र

भगवान श्रीहरि के इस अवतार का उल्लेख अद्वैत साहित्य में काफी है. इस विचित्र अवतार की कलाकृति पुरी जगन्नाथ मंदिर में भी स्थिति है. इसके अलावा जगन्नाथ मंदिर के नीलचक्र पर भी नवगुंजर अवतार की आकृति उकेरी गई है, जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं.

इसके साथ ही उड़ीसा में खेले जाने वाले प्राचीन खेल गंजपा में भी नवगुंजर एवं अर्जुन के एक एक पात्र उपस्थित रहते हैं. नवगुंजर को श्रीकृष्ण का विषरूप ही माना जाता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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