यमन में हूती विद्रोहियों की ओर से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के 24 स्थानीय स्टाफ को हिरासत में लेने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है. हालांकि अब तक हूती गुट की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन जानकारों और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस कार्रवाई के पीछे कई अहम वजहें हो सकती हैं.
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में यमन में इजरायल ने स्ट्राइक किया. इस स्ट्राइक के बाद हूती यूएन के अधिकारियों से खफा हैं. उनका कहता है कि यूएन के अधिकारी सना में जासूसी का काम कर रहे थे. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई उन स्थानीय कर्मचारियों को चेतावनी देने के लिए भी की गई है जो हूती नीतियों से सहमत नहीं हैं या कथित रूप से विरोधी गुटों से सहानुभूति रखते हैं.
यमन में जासूसी केस चलाने की तैयारी
दरअसल यूएन के अधिकारी सना में बचाव कामों में जुटे थे, लेकिन हूतियों को लगा कि यूएन के अधिकारी यहां जासूसी कर रहे हैं, जिसको लेकर रविवार से हूतियों ने एक्शन लेना शुरू कर दिया. यूएन के पदाधिकारियों को कहां ले जाया गया है, इसकी भी कोई खबर नहीं है. खबरों के अनुसार, हूती विद्रोही इन अधिकारियों के खिलाफ जासूसी केस चलाने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक, जिन कर्मचारियों को पकड़ा गया है, वे विभिन्न यूएन एजेंसियों जैसे, यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम), डब्ल्यूएफपी (विश्व खाद्य कार्यक्रम), यूनिसेफ और ओएचसीएचआर (मानवाधिकार कार्यालय) के लिए काम करते थे.
UN अधिकारियों को हो सकती है फांसी की सजा
बताया जा रहा है कि हूती लड़ाके इन कर्मचारियों को उनके घरों और दफ्तरों से जबरन उठाकर ले गए. साथ ही यूएन दफ्तर का फोन, टीवी और अन्य संचार उपक्रमों को भी जब्त कर लिया है. यमन की कानून प्रक्रिया के अनुसार, अगर इन यूएन अधिकारियों पर जासूसी का केस चला और वो साबित हो गया तो उन्हें यमन में फांसी की यानि मौत की सजा भी हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ हूती के विद्रोहियों पर इजराइल का स्ट्राइक जारी है.
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