1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान का कोई जंगी जहाज बांग्लादेश की यात्रा करने जा रहा है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान अब बांग्लादेश के जरिए भारत की घेराबंदी की साजिश रच रहा है. पाकिस्तान के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के बाद अगले हफ्ते (8-11 नवंबर) पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख नावेद अशरफ का बांग्लादेश दौरा होने जा रहा है.
पाकिस्तानी नेवी चीफ के दौरे के दौरान, माना जा रहा है कि पाकिस्तानी नौसेना का एक युद्धपोत भी बांग्लादेश पहुंचेगा. अगर ऐसा हुआ तो ये किसी पाकिस्तानी जंगी जहाज की 1971 के बाद पहली बांग्लादेश यात्रा होगी.
बांग्लादेश अंतरिम सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्ते कर रही मजबूत
1971 की जंग में भारत के हाथों हार के कारण पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था. तभी से पाकिस्तान और बांग्लादेश में तनातनी बनी हुई थी, लेकिन पिछले साल (2024) में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार लगातार भारत-विरोधी गतिविधियों के कारण पाकिस्तान से संबंध मजबूत कर रही है.
पिछले महीने, पाकिस्तानी सेना के दूसरे नंबर के टॉप मिलिट्री कमांडर (चेयरमैन, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी), जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने भी बांग्लादेश का दौरा किया था. मिर्जा ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वकार उज जमां से मुलाकात की थी. अब पाकिस्तान नेवी चीफ अशरफ का दौरा, संदेह पैदा करता है.
सर क्रीक इलाके में पाकिस्तान के होवरक्राफ्ट तैनात
पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख ने हाल ही में गुजरात से सटे विवादित सर क्रीक इलाके का दौरा किया था. इस दौरान अशरफ ने तीन नए होवरक्राफ्ट (जमीन और पानी में चलने वाली खास बोट) को पाकिस्तानी नौसेना को सौंपा था.
अशरफ के सर क्रीक दौरे के बाद ही भारत ने बड़ी ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज, त्रिशूल (1-13 नवंबर) शुरू की है. ये एक्सरसाइज, खास तौर से सर क्रीक और राजस्थान के थार रेगिस्तान में की जा रही है, जिसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ ही BSF (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) और कोस्टगार्ड भी हिस्सा ले रही है.
पड़ोसी देशों की हर हरकत पर भारत की नजर
पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियों को देखते हुए हालांकि, भारत ने भी कमर कस रखी है. पिछले हफ्ते, भारतीय नौसेना के वाइस चीफ संजय वास्त्यायन ने साफ तौर पर कहा था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की हर हरकत पर भारत की तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) और सभी इंटेलिजेंस एजेंसियों की पैनी नजर है.
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