Morari Bapu: प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बाबू रामचरित मानस के मर्मज्ञ हैं. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश-विदेश में उनके प्रवचन में लाखों की भीड़ उमड़ती है. मोरारी बापू कहते हैं कि जीवन को समझदारी, सादगी और सकारात्मक सोच के साथ जीना चाहिए. किसी के जीवन के लक्ष्य पर मोरारी बापू कहते हैं कि अगर आपके लक्ष्य पर कोई न हंसे, तो समझिए आपका लक्ष्य बहुत छोटा है.
लक्ष्य हमेशा इतना बड़ा होना चाहिए कि लोग उसकी कल्पना से ही हैरान हो जाएं. इंसान मृत्यु से नहीं, भय से मरता है. जब हम डरकर अपने सपनों से पीछे हट जाते हैं, तो हम जीते जी हार जाते हैं. रिश्ते पर वे कहते हैं कि हर रिश्ते का अंत झगड़ा से नहीं होता. कई बार हमें किसी की खुशी के लिए भी कुछ रिश्ते छोड़ने पड़ते हैं. किसी और जैसा बनने की कोशिश मत करें. हर व्यक्ति की अपनी एक पहचान होती है.
कुछ देर खुद एकांत में रहें और विचार करें
बापू कहते हैं कि फूल हमेशा एकांत में खिलता है. उसी तरह इंसान के भीतर का फूल भी तभी खिलता है जब वह अपने भीतर झांकता है. इसलिए हर व्यक्ति को कुछ समय अपने एकांत के लिए ज़रूर निकालना चाहिए. वह यह भी कहते हैं कि मकान दीवारों से बनता है, लेकिन घर दिलों से बनता है. यानी घर का असली सौंदर्य प्यार, अपनापन और समझ से आता है, न कि सिर्फ ईंट और पत्थरों से.
हार मान लेने पर हो जाती है मृत्यु
मोरारी बापू के अनुसार, इंसान की असली मृत्यु तब होती है जब वह जीवन में हार मान लेता है और प्रयास करना छोड़ देता है. वे कर्म सिद्धांत पर भी गहरी बात कहते हैं. कहते हैं कि कर्म से छुटकारा पाना बहुत कठिन है. हमारे किए गए अच्छे या बुरे कर्म किसी न किसी रूप में हमारे जीवन को प्रभावित करते ही है. इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें, क्योंकि वही हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं.
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