Breast Ironing: वेस्ट और मध्य अफ्रीका के कई हिस्सों में अब भी एक हानिकारक परंपरा चलन में है जिसे ब्रेस्ट आयरनिंग कहा जाता है. इसमें किशोरावस्था में विकसित हो रही लड़कियों की ब्रेस्ट को दबाकर, रगड़कर या गर्म करके दबाने की कोशिश की जाती है ताकि उनका ब्रेस्ट विकास रुक जाए. यह काम अक्सर मां, दादी या अन्य महिला रिश्तेदार करती हैं, जो मानती हैं कि इससे लड़कियां समय से पहले किसी तरह के गलत कामों का शिकार नहीं होंगी या उन्हें जल्दी शादी नहीं करनी पड़ेगी. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं कि यह क्या है और कैसे होता है.
ब्रेस्ट आयरनिंग कैसे की जाती है?
इस प्रक्रिया में कई तरीके अपनाए जाते हैं जैसे गर्म पत्थरों, हथौड़े, करछी, स्पैचुला या यहां तक कि इलेक्ट्रिक आयरन से सीने पर दबाव डालना. कभी-कभी कपड़े, बेल्ट या बैंडेज से सीने को कसकर भी बांध दिया जाता है. यह सब आमतौर पर बिना लड़की की सहमति के किया जाता है. नतीजा होता है तेज दर्द, फिजिकल चोटें और मेंटली टार्चर, जिससे लड़कियां लंबे समय तक पीड़ित रहती हैं.
यह प्रथा क्यों जारी है?
समुदायों में मान्यता है कि किशोरावस्था में ब्रेस्ट का विकसित होना उनके बढ़ने का संकेत है, जिससे लड़कियों पर गलत तरीके से ध्यान बढ़ सकता है या उन्हें जल्दी शादी के लिए मजबूर किया जा सकता है. कई परिवारों का मानना है कि अगर बेस्ट का विकास धीमा कर दिया जाए तो लड़कियां और समय तक पढ़ाई कर पाएंगी. हालांकि, एक्सपर्ट साफ कहते हैं कि यह सोच पूरी तरह से गलत है. न तो यह यौन हिंसा रोक पाती है और न ही जल्दी शादी की समस्या का हल है. उल्टा यह लड़कियों के शरीर पर नियंत्रण और लैंगिक असमानता को और मजबूत करती है.
शारीरिक नुकसान
ब्रेस्ट आयरनिंग से होने वाले शारीरिक नुकसान गंभीर और कई बार स्थायी हो सकते हैं. इसमें जलन, इंफेक्शन और लगातार दर्द शामिल है. कई मामलों में ब्रेस्ट का आकार स्थायी रूप से बिगड़ जाता है और भविष्य में ब्रेस्टफीडिंग कराने में भी कठिनाई आती है. जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस प्रक्रिया से लड़कियों को लंबे समय तक चलने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
मेंटली और फिजिकली अफेक्ट
यह प्रथा फिजिकली और मेंटली रूप से भी गहरा असर डालती है. जिन लड़कियों पर ब्रेस्ट आयरनिंग की जाती है, वे अक्सर चिंता, डिप्रेशन, आत्मसम्मान में कमी और नींद की समस्या से जूझती हैं. चूंकि यह काम चुपचाप और बिना समझाए किया जाता है, लड़कियां खुद को असहाय और शर्मिंदा महसूस करती हैं. यह अनुभव उनके सेल्फ विलीब और रिश्तों को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है. अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 38 लाख लड़कियां इस प्रथा की शिकार हो चुकी हैं. कैमरून जैसे देशों में तो हर तीन में से एक लड़की को यह सहना पड़ा है. प्रवासी समुदायों के बीच ब्रिटेन जैसे देशों में भी कुछ मामले सामने आए हैं, हालांकि वास्तविक आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.






