EXPLIANED: 9 देशों के परमाणु बमों से 300 बार मिटेगी धरती! न्यूक्लियर बॉम्ब बनाने की होड़ क्यों?

EXPLIANED: 9 देशों के परमाणु बमों से 300 बार मिटेगी धरती! न्यूक्लियर बॉम्ब बनाने की होड़ क्यों?



2 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने CBS न्यूज को इंटरव्यू देते हिए कहा है कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण क रहा है. अब अमेरिका को फिर से परमाणु परीक्षण करने की जरूरत है. ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि दुनिया को 150 बार तबाह किया जा सकता है, लेकिन रूस और चीन की गतिविधियों के चलते टेस्ट करना जरूरी है. गौरतलब है कि अमेरिका ने 23 सितंबर 1992 को आखिरी परमाणु परीक्षण किया था. अब ट्रंप के बयान से परमाणु बम फिर चर्चा में आ गया है.

तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि ट्रंप के बयान के मायने क्या हैं, सभी देश परमाणु जखीरा क्यों बढ़ा रहे और कैसे यह बम पूरी दुनिया को 00 बार तबाह कर सकते हैं…

सवाल 1- डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु बमों को लेकर क्या बयान दिया और इसके मायने क्या हैं?
जवाब- 2 नवंबर को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी न्यूज चैनल CBS के ’60 मिनट्स’ प्रोग्राम में पहुंचे. ट्रंप से पूछा गया कि नॉर्थ कोरिया के अलावा कोई भी परमाणु टेस्ट नहीं कर रहा तो आप क्यों कर रहे हैं? इस पर ट्रंप ने कहा कि रूस, पाकिस्तान और चीन भी गुप्त परीक्षण कर रहे हैं, बस दुनिया को पता नहीं चलता. हमें इस बारे में बात करनी ही होगी क्योंकि वरना आप लोग रिपोर्ट करेंगे. उनके पास ऐसे पत्रकार नहीं हैं, जो इस बारे में लिखें. हम परीक्षण करेंगे, क्योंकि वे परीक्षण करते हैं, दूसरे भी परीक्षण करते हैं और निश्चित रूप से उत्तर कोरिया परीक्षण कर रहा है.दरअसल ट्रम्प पहले ही रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) को परमाणु हथियारों की तुरंत टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दे चुके हैं.

ट्रंप ने 3 दशक बाद फिर से परमाणु परीक्षण कब और कहां करने के सवाल पर, बस इतना कहा, ‘हमारे पास टेस्टिंग साइट्स हैं, इसकी घोषणा जल्द की जाएगी.’ जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि इससे दुनिया एक और खतरनाक परमाणु माहौल में जा सकती है, तो ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है हमने इसे काफी हद तक कंट्रोल में रखा है.’

सवाल 2- दुनिया का पहला परमाणु बम कब बना था और कितने देशों के पास यह हथियार है?
जवाब- दुनिया के पहले परमाणु बम बनने की शुरूआत दिसंबर 1938 हो हुई थी, जब जर्मनी की एक लैब में वैज्ञानिक ओट्टो हान और फ्रिट्स स्ट्रॉसमैन ने यूरेनियम-235 के परमाणु पर न्यूट्रॉन की तेज बौछार की. इससे यूरेनियम का परमाणु अचानक दो हिस्सों में टूट गया और भारी मात्रा में ऊर्जा निकली. इस प्रयोग को नाभिकीय विखंडन कहा गया. यहूदी साइंटिस्ट लीजा माइटनर ने कहा कि इसका चेन रिएक्शन कराएं तो भयंकर एनर्जी रिलीज होगी. अमेरिकी वैज्ञानिकों को लगा कि नाजी जर्मनी के हाथों में एक बड़ा हथियार आ गया है.

इसके बाद अमेरिका ने जून 1942 में मैनहैटन में एक इमारत की 18वीं मंजिल पर गोपनीय तरीके से एटम बम बनाने की तैयारी शुरू कर दी. अमेरिकी ब्रिगेडियर जनरल लेस्ली ग्रोव्स और साइंटिस्ट जूलियस  रॉबर्ट ओपेनहाइमर की अगुआई में ‘मैनहैटन प्रोजेक्ट’ शुरू हुआ. 2 महीनों में 100 टन यूरेनियम जुटाया गया और डिजाइन पर काम करने के लिए ओपेनहाइमर ने न्यू मेक्सिको के लॉस एलामोस के बीहड़ में लैबोरेटरी बनाई.

दो साल बाद जुलाई 1945 में यूरेनियम और प्लूटोनियम के दो बम बनकर तैयार हो चुके थे. 16 जुलाई 1945 को ट्रिनिटी में अमेरिका ने पहले बम का सफल परीक्षण किया. 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा पर यूरेनियम बम ‘लिटिल बॉय’ और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर प्लूटोनियम बम ‘फैटमैन’ दागा गया. दोनों धमाकों में करीब डेढ़ लाख लोग तुरंत मारे गए. इसके बाद कई देशों ने परमाणु बम बनाना शुरू कर दिए.

  • 29 अगस्त 1949 को सोवियत संघ ने परमाणु बम ‘फर्स्ट थंडर’ बना लिया. सुबह 7 बजे कजाकिस्तान (तब सोवियत संघ का हिस्सा), में अराल सागर के पास रेगिस्तानी इलाके में सफल परीक्षण हुआ.
  • 3 अक्टूबर 1952 को यूनाइटेड किंगडम ने ‘हरिकेन’ नाम का परमाणु बम बनाया. मोंटेबेलो आइलैंड्स के पास सफल परीक्षण किया.
  • 13 फरवरी 1960 को फ्रांस ने अल्जीरिया (तब फ्रेंच कॉलोनी) में सहारा रेगिस्तान में परमाणु बम ‘जेरबोइस ब्लू’ का सफल परीक्षण किया.
  • 16 अक्टूबर 1964 में चीन में शिनजियांग प्रांत के गोबी रेगिस्तान में पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण हुआ. यह ‘सु596’ यूटेनियम-इम्फ्लोजन फिशन बम था.
  • 18 मई 1974 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया. ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम के इस न्यूक्लियर प्रोजक्ट में पी-1 यानी प्लूटोनियम-इम्प्लोजन फिशन डिवाइस का परमाणु बम टेस्ट किया.
  • 28 मई 1998 को भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में पाकिस्तान ने भी पहला परमाणु बम ‘चागई-1’ का परीक्षण किया. यह बलूचिस्तान प्रांत की चागई पहाड़ियों में हुआ था.
  • 9 अक्टूबर 2006 को उत्तर कोरिया ने भी परमाणु बम बना लिया. इस बम का परीक्षण उत्तर-पूर्वी कोरिया में पुनग्ये-री न्यूक्लियर टेस्ट साइट पर हुआ था.

सवाल 3- किन देशों ने कब परमाणु परीक्षण बंद कर दिए थे और क्यों?
जवाब- परमाणु परीक्षणों की होड़ ने 2 हजार से ज्यादा विस्फोटों को जन्म दिया, जिनमें से ज्यादातर 1950-1990 के बीच हुए. लेकिन रेडियोएक्टिव फॉलआउट की वजह से वैश्विक विरोध बढ़ा. 1954 में अमेरिका के कैसल ब्रावो परीक्षण ने जापानी मछुआरों को बीमार कर दिया, जिससे दुनिया में हंगामा मच गया था. इसके बाद 2 अप्रैल 1954 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार ‘स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट’ यानी परीक्षणों पर रोक लगाने की मांग की.

परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध का पहला बड़ा कदम था ‘पार्शल टेस्ट बैन ट्रीटी (PTBT), जिसपर 5 अगस्त 1963 को मॉस्को में अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन ने हस्ताक्षर किए. यह 10 अक्टूबर 1963 को लागू हुआ और वायुंडलीय, अंतरिक्ष और पानी के नीचे परीक्षणों पर रोक लगा दी. चीन ने PTBT पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. परमाणु परीक्षणों को बैन करने का सबसे महत्वपूर्ण कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर-टेस्ट-बैन ट्रीटी (CTBT) थी, जो 10 सितंबर 1996 को यूनाइटेड नेशंस महासभा ने अपनाया. तब इस पर 76 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. इसने सभी तरह के परमाणु परीक्षणों पर पूरी तरह से रोक लगा दी.

  • सोवियत संघ: 1990 के बाद से कोई कन्फर्म्ड विस्फोटक परीक्षण नहीं किया.
  • अमेरिका: 1992 के बाद से किसी भी तरह का परमाणु परीक्षण नहीं किया. 1962 में आखिरी एटमॉस्फेरिक टेस्ट किया था.
  • यूनाइटेड किंगडम: 1991 में आखिरी परमाणु परीक्षण किया था. इसके बाद कोई टेस्ट नहीं हुआ.
  • फ्रांस: 1996 में फ्रेंच पॉलीनेसिया में जमीन के अंदर परीक्षण किया था, जो आखिरी परीक्षण था.
  • चीन: 1996 तक चीन ने परीक्षण सीमित कर दिए और 29 जुलाई तक पूरे बंद कर दिए.
  • भारत: 1998 में पोखरण में आखिरी सफल परमाणु परीक्षण किया था, जिसका नाम ‘शक्ति-1’ था.
  • पाकिस्तान: 1998 में ‘चागई-2’ के साथ आखिरी परमाणु परीक्षण किया.
  • नॉर्थ कोरिया: 2017 में आखिरी परमाणु परीक्षण किया था. नॉर्थ कोरिया अकेला देश है जिसने 21वीं सदी में परीक्षण किए.

परमाणु बमों के खतरे से बचने के लिए परमाणु निरस्त्रीकरण शुरू किया गया, जिसका मतलब है परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खत्म करना, ताकि दुनिया हथियार रहित हो. यह NPT का मूल है, जो 5 मार्च 1970 को लागू हुआ. 191 देशों ने हस्ताक्षर किए. इसके तहत नए हथियार बनाने पर रोक, मौजदूा नष्ट करना और शांतिपूर्ण उपयोग का कहा गया.

सवाल 4- तो अब किन देशों के पास कितने परमाणु बम हैं और यह दुनिया को कितना बार तबाह कर सकते हैं?
जवाब- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, दुनिया में कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं…

  1. सबसे ज्यादा रूस के पास 5,459 परमाणु बम हैं.
  2. अमेरिका के पास 5,177 परमाणु बम हैं.
  3. चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं.
  4. फ्रांस के पास 290 परमाणु बम हैं.
  5. ब्रिटेन के पास 225 परमाणु बम हैं.
  6. भारत के पास 180 परमाणु बमों का जखीरा है.
  7. पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम हैं.
  8. इजराइल के पास 90 परमाणु बम हैं.
  9. नॉर्थ कोरिया के पास 50 परमाणु बम हैं.

इसके अलावा इजराइल के पास भी परमाणु बम होने की खबरें आईं हैं, लेकिन कन्फर्म नहीं हुआ. कहा जाता है कि इजराइल गुप्त तरीके से परमाणु बम बना रहा है.

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, एक परमाणु बम एक शहर को मिनटों में खत्म कर सकता है. दुनियाभर में 12,241 परमाणु वॉरहेड्स हैं, जिनकी कुल विस्फोटक क्षमता 2,500 मेगाटन से भी ज्यादा है. हिरोशिमा का बम 0.015 मेगाटन था, तो यह 1.66 लाख हिरोशिमा बमों के बराबर है. लेकिन खतरा सिर्फ विस्फोट नहीं, बल्कि ‘न्यूक्लियर विंटर’ है. अगर भारत-पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय युद्ध में 100 हिरोशिमा जैसे बम गिरो, तो 50 लाख टन धुआं स्ट्रेटोस्फियर में जाएगा, जो सूरज की रोशनी रोक देगा. दो दशकों तक फसलें नष्ट हो जाएगी और लोग भुखमरी से मर जाएंगे.

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 3 हजार परमाणु वॉरहेड्स पृथ्वी को 50-100 बार तबाह कर सकते हैं. अगर इससे अंदाजा लगाया जाए तो कुल 12,241 परमाणु वॉरहेड्स से दुनिया 300 से ज्यादा बार तबाह हो सकती है. दुनिया का सबसे ताकतवर परमाणु बम रूस के पास है, जिसका नाम ‘त्सार बॉम्ब’ है. यह 50 मेगाटन का है. लेकिन यह खतरा इतना बड़ा है कि वैज्ञानिक कहते हैं, ‘एक सीमित युद्ध भी सभ्यता का अंत कर सकता है.’

सवाल 5- क्या अब भी कोई देश परमाणु बम बनाने की कोशिशें कर रहे हैं?
जवाब- 9 देशों के अलावा कई ‘थ्रेशोल्ड स्टेट्स’ हैं, जो हथियार बना सकते हैं. इनमें ईरान सबसे ऊपर है. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की 31 मई 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास 408 किलोग्राम 60% यूरेनियम है, जो कई बम बना सकता है. ईरान का काविर प्लान लंबी दूरी मिसाइलों पर काम रहा है, जो नॉर्थ कोरियन डिजाइन पर बेस्ड है. हालांकि, इजराइली और अमेरिकी हमलों ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है.

इसके अलावा सऊदी अरब ने कहा है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बनाया, तो हम भी बनाएंगे. साउथ कोरिया और जापान में जन समर्थन बढ़ा है, लेकिन अमेरिकी गारंटी की वजह से रुके हुए हैं. तुर्किये और जर्मनी भी ‘हेजर्स’ हैं, क्षमता है लेकिन राजनीतिक इच्छा नहीं है. SIPRI के मुताबिक, ईरान-इजराइल तनाव से परमाणु बम बनाने की क्षेत्रीय होड़ बढ़ सकती है.

सवाल 6- तो ट्रंप के बयान के मायने क्या हैं? क्या परमाणु रेस शुरू होने वाली है?
जवाब- भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और डिफेंस एक्सपर्ट संजय कुलकर्णी कहते हैं, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन तनाव ने सेकेंड कोल्ड वॉर जैसे हालत पैदा कर दिए हैं. रूस ने 2023 में न्यू स्टार्ट संधि निलंबित कर दी थी, जो दोनों देशों के हथियारों की सीमा तय करती थी. चीन हर साल 100 नए वॉरहेड्स जो रहा है. पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर रहा है. हाल ही में अफगानिस्तान में जो भूकंप के झटके लगे, वो किसी प्राकृतिक आपदा के नहीं बल्कि परमाणु टेस्टिंग के लग रहे हैं.’

संजय कुलकर्णी कहते हैं कि ट्रंप इस बात को बहुत अच्छे से समझ गए हैं कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के हाथों में परमाणु बम जैसी शक्ति बढ़नी नहीं चाहिए. वे खुलेआम चेतावनी दे रहे हैं कि अगर दुनिया के बाकी देशों ने परमाणु बमों पर हाथ हल्का नहीं किया, तो अमेरिका भी परमाणु परीक्षण शुरू कर देगा. मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि कई देश चोरी-छिपे परमाणु बम बनाने पर काम कर रहे हैं. ऐसे में अगर न्यूक्लियर वॉर हो गई, तो इसे कंट्रोल करना मुश्किल होगा.



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