Tulsi Vivah 2025: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का दिन शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह होता है, जिसे देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुनर्मिलन का प्रतीक माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के साथ ही चार महीने से रुके हुए सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.
मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन पोटली बनाकर घर के मुख्य द्वार पर बांधने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं और माता लक्ष्मी का वास स्थायी हो जाता है. शास्त्रों में तुलसी माता को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है.
भगवान विष्णु को उनके पति के रूप में पूजा जाता है. इस दिन तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु का प्रतीक) का विवाह विधि-विधान से किया जाता है. इससे दांपत्य जीवन में प्रेम, परिवार में शांति और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
इस तरह बनाएं पोटली:
तुलसी विवाह के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ लाल कपड़ा लें. तुलसी के पौधे की जड़ को गंगाजल से अच्छी तरह धो लें. फिर उसमें 11 साबुत चावल (अक्षत) और एक रुपये का सिक्का रखें. इन सभी वस्तुओं को लाल कपड़े में रखकर छोटी-सी पोटली बनाएं और घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर मजबूती से बांध दें.
कहा जाता है कि यह पोटली घर की रक्षा कवच की तरह काम करती है. इससे घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. बाहर की नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर पाती. इससे घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है. पैसों की तंगी और अचानक होने वाले खर्च कम होते हैं. नकारात्मक ऊर्जा, नजरदोष और कलह-कलेश दूर होते हैं.
कब बदलें पोटली
यह पोटली एक साल तक घर में शुभता और सकारात्मकता बनाए रखती है. अगले साल तुलसी विवाह के दिन पुरानी पोटली को उतार लें. उसमें से एक रुपये का सिक्का निकालकर अपने पर्स या तिजोरी में रख लें, जिससे धन की वृद्धि और स्थिरता बनी रहे. बाकी पोटली को किसी पवित्र नदी या बहते जल में प्रवाहित कर दें. फिर उसी दिन नई पोटली बनाकर द्वार पर बांध दें.
तुलसी विवाह के दिन ऐसे करें पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के मंदिर में तुलसी माता और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. तुलसी माता को लाल साड़ी, फूल, दीप और प्रसाद अर्पित करें. भगवान विष्णु को तुलसी जल चढ़ाएं और दोनों की एक साथ आरती करें. शाम के समय तुलसी और शालिग्राम का प्रतीकात्मक विवाह कराएं.
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