WiFi 8: इंटरनेट की दुनिया में एक नया अध्याय खुलने जा रहा है. TP-Link USA ने अगली पीढ़ी की Wi-Fi 8 तकनीक की सफल टेस्टिंग की घोषणा की है. कंपनी ने बताया कि उन्होंने Qualcomm सहित कई टेक कंपनियों के साथ मिलकर एक शुरुआती प्रोटोटाइप डिवाइस से डेटा भेजने और प्राप्त करने में सफलता हासिल की है. इस ट्रायल से यह साफ हो गया है कि Wi-Fi 8 अब केवल एक कॉन्सेप्ट नहीं बल्कि वास्तविकता बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
क्या है Wi-Fi 8 टेक्नोलॉजी?
Wi-Fi 8 अगली पीढ़ी की वायरलेस कनेक्टिविटी तकनीक है जिसे IEEE802.11 (Institute of Electrical and Electronics Engineers) के Ultra High Reliability (UHR) प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जा रहा है. जहां पहले के Wi-Fi वर्ज़न स्पीड पर ज्यादा फोकस करते थे, वहीं Wi-Fi 8 का मकसद है बेहतर स्थिरता, भरोसेमंद कनेक्शन और वायर जैसी रफ्तार देना.
Qualcomm के मुताबिक, यह नया स्टैंडर्ड उन क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है जहां कनेक्शन की स्थिरता बेहद जरूरी होती है जैसे AI सिस्टम्स, रोबोटिक्स, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन और हाई-डेटा प्रोसेसिंग एप्लिकेशन.
Wi-Fi 7 से कितनी बेहतर होगी नई तकनीक?
Wi-Fi 8 में कई ऐसे सुधार किए गए हैं जो मौजूदा Wi-Fi 7 को पीछे छोड़ देंगे. इनमें प्रमुख हैं.
- कमजोर सिग्नल एरिया में 25% तक तेज़ इंटरनेट स्पीड.
- 25% कम लेटेंसी, जिससे गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और लाइव स्ट्रीमिंग अनुभव और स्मूथ होगा.
- चलते-फिरते नेटवर्क बदलने पर भी कनेक्शन ड्रॉप नहीं होगा.
ऊर्जा की खपत कम और डिवाइसों के बीच सीधी संचार क्षमता (peer-to-peer) में सुधार. इन सुधारों से यह तकनीक न केवल तेज़ बल्कि ज़्यादा भरोसेमंद भी साबित होगी.
कब मिलेगी Wi-Fi 8 तकनीक?
फिलहाल Wi-Fi 8 विकास और टेस्टिंग के शुरुआती चरण में है. यह तकनीक IEEE की 802.11bn टास्क ग्रुप के तहत स्टैंडर्डाइज की जा रही है जिसमें Qualcomm और TP-Link जैसी कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, IEEE 802.11 वर्किंग ग्रुप द्वारा Wi-Fi 8 को अंतिम मंजूरी मार्च 2028 तक मिलने की संभावना है. इसका मतलब है कि 2028 के बाद बाजार में Wi-Fi 8 आधारित राउटर और डिवाइस देखने को मिल सकते हैं.
TP-Link की यह शुरुआती टेस्टिंग एक “प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट” के रूप में की गई है ताकि आने वाले वर्षों में दूसरी कंपनियां भी इसी दिशा में अपने प्रोडक्ट्स तैयार कर सकें.
भारत में Wi-Fi 8 कब तक पहुंचेगा?
हालांकि Wi-Fi 8 की टेस्टिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू हो चुकी है लेकिन भारत में इसकी एंट्री में थोड़ी देरी हो सकती है. इस देरी की वजह है 6GHz बैंड स्पेक्ट्रम से जुड़ा विवाद. इस बैंड को Wi-Fi 6E, 7 और आने वाले Wi-Fi 8 के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. Department of Telecommunications (DoT) ने इस बैंड को “डीलाइसेंस” करने के नियमों पर फैसला टाल दिया है.
एक ओर टेलीकॉम कंपनियां (COAI) चाहती हैं कि यह बैंड मोबाइल सर्विसेज़ के लिए रिज़र्व रहे, जबकि Google, Meta और Microsoft जैसी टेक कंपनियां (BIF के तहत) सरकार से इसे Wi-Fi के लिए खोलने की मांग कर रही हैं. अगर सरकार ने इसे Wi-Fi उपयोग के लिए मुक्त किया तो भारत में भी Wi-Fi 8 की तेज़ और स्थिर कनेक्टिविटी का लाभ जल्द ही मिल सकेगा.
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